1 सलीब पर जब मैं करता ध्यान, कि मुआ उस पर रब-उल-नूर
सब नफे गिनूंगा नुकसान, तहकीर भी करूं सब गरूर.
2 न हो कि फख़र करूं अब, सिवा सलीब पर येसु की
दुनयावी कीमती तोहफे सब, छोड़ दूंगा खातिर येसु की.
3 देख उसके सर पर ताज खारदार, हाथ, पांव, पसली घायल है
यह कैसा दुख और कैसा प्यार, इस प्यार के क्यों न कायल हों.
4 गर तुझे देऊं कुल जहान, तो ऐ शफीक खून बहा
बस आपकी कुल बा-दिल-ओ-जां, गुज़ारता हूं खुदा-बन्दा.
5 मसीह ने सहा दुख जिससे, तां बचें सारे आदमज़ाद
हो हम्द सब ख़ून खरीदों से, अभी और अब्द उल-आबाद.
Source: The Cyber Hymnal #14165