14163 | The Cyber Hymnal#14164 | 14165 |
Text: | सबसे बड़ा वैध्य |
Author: | William Hunter |
Translator: | Unknown |
Tune: | [संसार का सबसे बड़ा वैध्य, वह है हमारा येशु] |
Composer: | John H. Stockton |
Media: | MIDI file |
1 संसार का सबसे बड़ा वैध्य, वह है हमारा येशु
उनको जो पाप में पड़े कैद, प्यार से बुलाता येशु.
कोरस:
सब संसार में मीठा नाम, प्रथ्वी स्वर्ग में मीठा नाम
सबसे प्यारा मीठा नाम, येशु येशु येशु.
2 तुम्हारा सबसे बड़ा पाप, है क्षमा करता येशु
तुम स्वर्ग को आऒ साथ मेल मिलाप, कि मुक्ति देता येशु. [कोरस]
3 येशु का नाम बचाता है, सब पाप और दुख से
प्यार से अब बुलाता है, कौन और है जैसा येशु. [कोरस]
4 स्वर्ग देश को जब हम चढ़ेंगे, तब देखें अपने येशु
वहां फिर नहीं मरेंगे, अनन्त आनन्द साथ येशु. [कोरस]
Text Information | |
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First Line: | संसार का सबसे बड़ा वैध्य, वह है हमारा येशु |
Title: | सबसे बड़ा वैध्य |
English Title: | The great Physician now is near |
Author: | William Hunter (1859) |
Translator: | Unknown |
Refrain First Line: | सब संसार में मीठा नाम, प्रथ्वी स्वर्ग में मीठा नाम |
Language: | Hindi |
Copyright: | Public Domain |
Tune Information | |
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Name: | [संसार का सबसे बड़ा वैध्य, वह है हमारा येशु] |
Composer: | John H. Stockton (1869) |
Key: | E♭ Major |
Copyright: | Public Domain |